हिंदी कहानियां - भाग 117
अकबर को अपने दरबारियों और खुद को खुश करने के लिए कई तरह के रोचक प्रश्न पूछने का एक अजीब शौक था।
एक दिन, अकबर, शाही दरबार में अपनी शाही कुर्सी पर आराम से बैठे थे| अचानक उनके मन में एक विचित्र सवाल आया और उन्होंने अपने दरबारियों से पूछा, ” मेरी मूंछो को खींचने वाले व्यक्ति को क्या दंड दिया जाना चाहिए?” मंत्री ने कहा, जहांपनाह” ऐसे दुष्ट व्यक्ति का सर कलम कर देना चाहिए!”
खजांची ने कहा, “उसे कारागार में डाल देना चाहिए!”
सेना के प्रमुख ने कहा, “उसे फांसी दी जानी चाहिए!”
दरबार में उपस्थित सभी लोगों ने अपराधी के लिए एक से बढ़कर एक कठोर दंड के सुझाव दिए।
बादशाह ने यही सवाल बीरबल से पूछा, “आप क्या सोचते हैं, बीरबल?”
बीरबल एक पल के लिए चुप रहे, और फिर कहा, “हुजूर, उसे मिठाई दी जानी चाहिए!”
“क्या बकते हो, बीरबल? क्या तुम जानते हो कि तुम क्या कह रहे हो? ”
बीरबल ने विनम्रता से जवाब दिया, हुजूर, “मैं पागल नहीं हूँ, ! और मुझे पता है कि मैं क्या कह रहा हूँ! ”
अकबर ने क्रोध में पूछा, ” फिर तुम ऐसा सुझाव कैसे दे सकते हो कि जो व्यक्ति मेरी मूछों को खींचता है मुझे उसे दंडित करने की बजाय उसको इनाम देना चाहिए” बीरबल ने फिर से विनम्रता से जवाब दिया, “क्योंकि, हुजूर, ऐसी गुस्ताखी आप के पोते के अलावा कोई नहीं कर सकता है।”अकबर, बीरबल के इस जवाब से बहुत खुश हुए और अपनी अंगूठी उतारकर बीरबल को इनाम के रूप में दे दी।